शहर शहर शहर यह शहर अब अपना सा नहीं लगता तुम जो छोड | हिंदी Poetry

"शहर शहर शहर यह शहर अब अपना सा नहीं लगता तुम जो छोड़ गए हो इसको । अब तो बस गलियों में आना जाना है पर यह गलियां सुनसान सी लगती है । तुम जो नहीं हो । मेला तो लगा है, लोगों का पर उस मेले में मैं अकेला तेरे बिना तुझी को याद करता फिर रहा हूं । बस अब लौट आ मेरे शहर तो वापस बस अब लौट आ वापस।"

 शहर शहर शहर यह शहर अब अपना सा नहीं लगता तुम जो छोड़ गए हो इसको । अब तो बस गलियों में आना जाना है पर यह गलियां सुनसान सी लगती है ।
तुम जो नहीं हो । मेला तो लगा है, लोगों का पर उस मेले में मैं अकेला तेरे बिना तुझी को याद करता फिर रहा हूं ।
बस अब लौट आ मेरे शहर तो वापस बस अब लौट आ वापस।

शहर शहर शहर यह शहर अब अपना सा नहीं लगता तुम जो छोड़ गए हो इसको । अब तो बस गलियों में आना जाना है पर यह गलियां सुनसान सी लगती है । तुम जो नहीं हो । मेला तो लगा है, लोगों का पर उस मेले में मैं अकेला तेरे बिना तुझी को याद करता फिर रहा हूं । बस अब लौट आ मेरे शहर तो वापस बस अब लौट आ वापस।

अब लौट आओ अपने शहर।
#wordoftheday
#mohabbatein
#nojotopoetry

#yaadein

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