गुनाहों की गर्द में वो पूरी तरह डूबा रहा
आग उसके कर्मों की दहकने मेरा वजूद लगा
जुड़ी रही मैं उससे कसूर मेरा इतना ही था
सज़ा उसे मिलनी थी पर क़त्ल सिर्फ मेरा हुआ
उसको बचाने लगी मै जिसे ढंग से जान भी नहीं पाई
उस फरेबी ने गज़ब की फर्जी शख्सियत थी दिखाई
और आखिर में जब खुलासा लव जिहाद का हुआ
मिट गए अक्स ख्वाबों के ख्याल हो गए धुआं धुआं
बबली भाटी बैसला
©Babli BhatiBaisla
लव जिहाद