धूल नहीं हूँ उड़ जाऊँगा जो
बस यूँ ही घिरते तूफ़ानों में
एक दिन ऐसा भी आएगा
जब लिखेंगे सब अफसानों में
चोर नहीं हूँ जिसने सब लूटा
हूँ थोड़ा किस्मत का कूटा
जो दूर खड़े, जो अपने दूरी रखते हैं
वो सब कहेंगे अपना अपना
आजाऊंगा उनकी पहचानों में
धूल नहीं हूँ उड़ जाऊँगा जो
बस यूँ ही घिरते तूफ़ानों में
©Traveling poet 🎠
#boat