आंख मलते मलते उठके देखा करते थे उनको, सुबह का सूरज | हिंदी कविता

"आंख मलते मलते उठके देखा करते थे उनको, सुबह का सूरज सा मान लिए थे उनको, अब तो इंतजार में आंख मलते मलते सो भी नहीं पाते रात निकल जाती है पर वो सूरज दिखाई दे भला किसको? ©Yuni"

 आंख मलते मलते उठके देखा करते थे उनको,
सुबह का सूरज सा मान लिए थे उनको,
अब तो इंतजार में आंख मलते मलते सो भी नहीं पाते
रात निकल जाती है पर वो सूरज दिखाई दे भला किसको?

©Yuni

आंख मलते मलते उठके देखा करते थे उनको, सुबह का सूरज सा मान लिए थे उनको, अब तो इंतजार में आंख मलते मलते सो भी नहीं पाते रात निकल जाती है पर वो सूरज दिखाई दे भला किसको? ©Yuni

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