"अकेला योद्धा"
प्रनित कुलुङ राई
हाँ, भेडाको झुण्ड में रेहकर भि,
एक भेडाको पेहचान मिल जाता हैं।
लेकिन जो बिना झुण्ड के भि राज करे
उसे हि जंगल के राजा बुलाता हैं ।
हाँ लाँख तारे भि दुनियाँ को रोशनी देती हैं,
भिंड में हि सहि अपने आप को पेहचान दिलाता हैं
लेकिन जिस्के रोशनी लाख तारे को भि भारी पड़ जाता है
जिस्के चमक लाख तारे को भि झुकनेको मझबुर कर जाता है
वह भि अकेला चाँद हि होता है ।
हाँ, बुँन्द बुँन्द से सागर बनता है
लेकिन सच तो यही है कि
उस जलको सागर बन्ने के लिए भि
एक बुँन्द जल कि जरूरत होता हैं,
और जो बुँन्द उस सागरसे बाहर आकर भि
अपना तलाब बना लेता हैं
वही शैलाब लाने कि संक्षम रखता हैं।
हाँ, एक प्राणी भि भिंड मे हि सुरक्षित रेहता हैं,
सफलता पाने के लिए किसी के साथ कि जरूरत होता हैं,
लेकिन जो अकेला हि आसमान में उड्ता हैं,
उसका हि सबसे मजबुत पंख हुआ करते हैं
और जो अकेला हि संघर्ष करके सफलताको चुम लेता हैं
उसे हि अकसर लोक अकेला योद्धा बुलाता हैं ।
अकेला योद्धा