रोज़ मर-मर की ये जिंदगी चल रही हैं ।
सुख़ और आंनद का नामोनिशान ही मिट गया हैं ।।
कहीं पर किसी एक कोने में खुशियां नजर आती हैं ।
लेकिन कमबख्त ये जिंदगी का दुःख उसे भी समेट लेता हैं ।।
लोगों को मन की बात कहते हैं तो उन्हें वे झूट लगता हैं ।
हां ये सच हैं हम रोज़ रात को अकेले ही रोंते हैं ।।
मगर क्या करे हमें तो ये सच मानना ही हैं ।
और दुःख साहरे पूरी जिंदगी अब काटनी हैं ।।
_Prathmesh Thakare
Fact Behind my life😔
#stairs