White इक नज़्म हर सहर फ़रमान है मन जागा पूरी रात | हिंदी शायरी

"White इक नज़्म हर सहर फ़रमान है मन जागा पूरी रात है एक ही अरमान है ... एक ही जज़्बात है... नए जागे जागे ख्वाब है...२ Hmm hmm hmm hmmm अज़ान की आवाज़ से नए गूंजते अल्फ़ाज़ है उतर उतर गहरे उतर ठहर ठहर रूहे बसर जगा रहे नए ख्वाब है...२ Hmm hmm hmm hmmm... बदल गई नज़र नज़र क्यों है भरम पूछे करम इमरोज़ की आंखे भरी माजी की हर इक बात से भीगे हुए सब ख्वाब हैं...२ Hmm hmmm hmmm hmm... पंख अब खुलते नहीं अर्श अब झुकते नहीं मेरी ज़मीं मुझे पूछती कहां खो गई परवाज़ है किससे जुड़े नये ख्वाब है...२ Hmm hmmm hmmm hmm... ©सुरेश सारस्वत"

 White इक नज़्म 

हर सहर फ़रमान है
मन जागा पूरी रात है
एक ही अरमान है ...
एक ही जज़्बात है...
नए जागे जागे ख्वाब है...२
Hmm hmm hmm hmmm
अज़ान की आवाज़ से
नए गूंजते अल्फ़ाज़ है
उतर उतर गहरे उतर
ठहर ठहर रूहे बसर
जगा रहे नए ख्वाब है...२
Hmm hmm hmm hmmm...
बदल गई नज़र नज़र
क्यों है भरम पूछे करम
इमरोज़ की आंखे भरी
माजी की हर इक बात से
भीगे हुए सब ख्वाब हैं...२
Hmm hmmm hmmm hmm...
पंख अब खुलते नहीं
अर्श अब झुकते नहीं
मेरी ज़मीं मुझे पूछती
कहां खो गई परवाज़ है
किससे जुड़े नये ख्वाब है...२
Hmm hmmm hmmm hmm...

©सुरेश सारस्वत

White इक नज़्म हर सहर फ़रमान है मन जागा पूरी रात है एक ही अरमान है ... एक ही जज़्बात है... नए जागे जागे ख्वाब है...२ Hmm hmm hmm hmmm अज़ान की आवाज़ से नए गूंजते अल्फ़ाज़ है उतर उतर गहरे उतर ठहर ठहर रूहे बसर जगा रहे नए ख्वाब है...२ Hmm hmm hmm hmmm... बदल गई नज़र नज़र क्यों है भरम पूछे करम इमरोज़ की आंखे भरी माजी की हर इक बात से भीगे हुए सब ख्वाब हैं...२ Hmm hmmm hmmm hmm... पंख अब खुलते नहीं अर्श अब झुकते नहीं मेरी ज़मीं मुझे पूछती कहां खो गई परवाज़ है किससे जुड़े नये ख्वाब है...२ Hmm hmmm hmmm hmm... ©सुरेश सारस्वत

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