पंछियों का झुंड अपना घरोंदा छोड़ने को तैयार था ,
पंख फैला कर उड़ जाना उनकी खुदगर्जी समझी गई ,
पेड़ों के पत्ते गिरना उसकी मज़बूरी समझी गई,
अगली वसंत आते ही ,झुंड वापस लौटा,
पत्ते फूल फल सब फिरसे खिले,
और Badgumaani की चादर ओढ़ने वालो के शहर बदल गए।।।।
- कमल मन से ।।
©Kamal Pandey
#Trees