पत्थर तोड़कर हमने खुद का रास्ता बनाया है। इस तरह ल | हिंदी शायरी

"पत्थर तोड़कर हमने खुद का रास्ता बनाया है। इस तरह लड़कर हमने अपनी दास्ताँ बनाया है। क़त्ल के इस वक़्त में क्यों चीखते बिलखते हो तुमने ही तो क़ातिल को बादशाह बनाया है । क्या हुनर छुपा उसकी हाथों की सफाई में, क़त्लेआम करके फिर उसे हादसा बनाया है। इक तो ज़िन्दगी पहले ही मुफलिसी में गुज़री है, ऊपर से तुमने तो मर के सिर्फ खर्चा बढ़ाया है। क़ौम की इस लड़ाई में बच के अब कहाँ जाएँ, इक तरफ मंदिर तो दूजी ओर मस्जिद बनाया है। ©Sonu Yadav ( यदुवीर )"

 पत्थर तोड़कर हमने खुद का रास्ता बनाया है। 
इस तरह लड़कर हमने अपनी दास्ताँ बनाया है। 

क़त्ल के इस वक़्त में क्यों चीखते बिलखते हो 
तुमने ही तो क़ातिल को बादशाह बनाया है । 

क्या हुनर छुपा  उसकी हाथों की सफाई में, 
क़त्लेआम करके फिर उसे हादसा बनाया है।  

इक तो ज़िन्दगी पहले ही मुफलिसी में गुज़री है,
ऊपर से तुमने तो मर के सिर्फ खर्चा बढ़ाया है।

क़ौम की इस लड़ाई में बच के अब कहाँ जाएँ, 
इक तरफ मंदिर तो दूजी ओर मस्जिद बनाया है।

©Sonu Yadav ( यदुवीर )

पत्थर तोड़कर हमने खुद का रास्ता बनाया है। इस तरह लड़कर हमने अपनी दास्ताँ बनाया है। क़त्ल के इस वक़्त में क्यों चीखते बिलखते हो तुमने ही तो क़ातिल को बादशाह बनाया है । क्या हुनर छुपा उसकी हाथों की सफाई में, क़त्लेआम करके फिर उसे हादसा बनाया है। इक तो ज़िन्दगी पहले ही मुफलिसी में गुज़री है, ऊपर से तुमने तो मर के सिर्फ खर्चा बढ़ाया है। क़ौम की इस लड़ाई में बच के अब कहाँ जाएँ, इक तरफ मंदिर तो दूजी ओर मस्जिद बनाया है। ©Sonu Yadav ( यदुवीर )

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