जिसकी बाहों पर लटककर कभी झूला झूला करती थी उजड़ा स | हिंदी Shayari Vid

"जिसकी बाहों पर लटककर कभी झूला झूला करती थी उजड़ा सा वीरान खड़ा पड़ा था ठीक मेरी तरह बाहों में भरते ही सिसक सिसक कर बोला पिए होंगे तूने भी मेरी तरह झूठे वादों के कड़वे घूंट और फिर अब इंतजार में तू भी ठूंठ मैं भी ठूंठ ©Shikkha Sharrma "

जिसकी बाहों पर लटककर कभी झूला झूला करती थी उजड़ा सा वीरान खड़ा पड़ा था ठीक मेरी तरह बाहों में भरते ही सिसक सिसक कर बोला पिए होंगे तूने भी मेरी तरह झूठे वादों के कड़वे घूंट और फिर अब इंतजार में तू भी ठूंठ मैं भी ठूंठ ©Shikkha Sharrma

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