पाप पुण्य के भाग विभार का मैं कर्म सार बस तुझमें प | हिंदी कविता Video
"पाप पुण्य के भाग विभार का
मैं कर्म सार बस तुझमें पाऊ!
हर दोष से मुक्ति का माध्यम,
बस, तुझमें ही खोकर पाऊ !!
मैं बस, सर्वदा खो सा जाऊँ,
तेरे उस भक्ति रस वंदन में!
समाहित सा कर बैठू, खुद को
मै तेरे उस मन रुपी गढ़ में !!"
पाप पुण्य के भाग विभार का
मैं कर्म सार बस तुझमें पाऊ!
हर दोष से मुक्ति का माध्यम,
बस, तुझमें ही खोकर पाऊ !!
मैं बस, सर्वदा खो सा जाऊँ,
तेरे उस भक्ति रस वंदन में!
समाहित सा कर बैठू, खुद को
मै तेरे उस मन रुपी गढ़ में !!