महोब्बत एकांत ढूँढती है उस सख्स के साथ जिसके साथ उसे अपने आपको प्रदर्शित ना करना पड़े की क्या है, कैसी है, क्यों है, वो तो एक आभास है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। महसूस करले तो जन्नत ; नहीं तो चंद शब्दों का अल्फाज
महोब्बत कभी शिकायत नहीं करती क्योंकि उसे तो सिर्फ लूट जाना आता है, कुर्बान हो जाना आता है किसी की मोहताज़ नहीं होती वो तो अपने आप में है
परिपूर्ण है।
उसका खुद का ना कोई रंग, रूप, माप, तोल है अगर है तो वो है सिर्फ़.......
©avanish singh (anuj)
#Gulaab