वालिद की तो फिरत ही होती है ओलाद की परवाह करना और | हिंदी शायरी

"वालिद की तो फिरत ही होती है ओलाद की परवाह करना और एक हम है कि उसे पाबंदी समझ बैठें हाय! ये कैसी गलत फेमी हम अपने जहन में पाल बैठें । ©seema komre"

 वालिद की तो फिरत ही होती है ओलाद की परवाह करना
और एक हम है कि उसे पाबंदी समझ बैठें 
हाय! ये कैसी गलत फेमी हम अपने जहन में पाल बैठें ।

©seema   komre

वालिद की तो फिरत ही होती है ओलाद की परवाह करना और एक हम है कि उसे पाबंदी समझ बैठें हाय! ये कैसी गलत फेमी हम अपने जहन में पाल बैठें । ©seema komre

वालिद

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