मैंने कल भी तुम्हें चाहा है ,,,,,
मैंने आज भी तुम्हें चाहा है,,
अफ़सोस,, तुमने जितना मुझे खुदसे दूर करना चाहा ,,
मेरी चाहत और तुम्हारे पास जाती चली गई,,,
समझते क्या हो ? होशियार हो तुम बहुत,,,,
पर मेरी चाहत तुम्हारी बातों की मोहताज नहीं,,,
ना तुम्हारे साथ की मोहताज,,
मेरी तो चाहत है ,, बस तुम्हें चाहना ,,, और चाहते रहना ,,
जब तक बस चलेगा,, चाहूँगी,, यूं ही,,,,,।।।
©Nehu Dee.kalam
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