दोपहर का समय चिलचिलाती धूप, हाथो में हाथ... बहुत ज

"दोपहर का समय चिलचिलाती धूप, हाथो में हाथ... बहुत ज्यादा सन्नाटा और हम उनके साथ... उनके वो बड़े बड़े पैरों से लम्बे लम्बे कदम... और हमारे वो छोटे छोटे पैरों से तेज़ कदम... वो एकदम शांति से आगे की ओर चल रहे थे.. इधर हम खुद से ही मन में कई सवाल बुन रहे थे... आखिर हमने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूछ ही लिया... क्यों फिक्र करते हो तुम इतनी मेरी??? क्यों मेरे आँखों मे एक भी आँसू देख तुम्हारी आँखे भी नम हो जाती है??? क्यों तुम लोगो के सामने मेरा हाथ पकड़ते हुए एक बार भी नहीं सोचते?? क्यों मेरी खुशी के लिए तुम कुछ भी कर देते हो??? क्यों जब लोग मेरा जिक्र करते हैं तो तुम्हारे चेहरे पर वो बहुत कुछ कहने वाली मुस्कान होती है??? उसके बाद उन्होंने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया... मेरे कुछ समझने से पहले ही उन्होंने मुझे अपनी जान कह दिया... गाल पर वो अजीब सी चमक लेकर वो एकटक मुझे देखे जा रहे थे... और अंत में उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया... BEGINNING❣ @readytowrite_27 ©Navita Barai"

 दोपहर का समय चिलचिलाती धूप, हाथो में हाथ...
बहुत ज्यादा सन्नाटा और हम उनके साथ...
उनके वो बड़े बड़े पैरों से लम्बे लम्बे कदम...
और हमारे वो छोटे छोटे पैरों से तेज़ कदम...
वो एकदम शांति से आगे की ओर चल रहे थे..
इधर हम खुद से ही मन में कई सवाल बुन रहे थे...
आखिर हमने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूछ ही लिया...
क्यों फिक्र करते हो तुम इतनी मेरी???
क्यों मेरे आँखों मे एक भी आँसू देख तुम्हारी आँखे भी नम हो जाती है???
क्यों तुम लोगो के सामने मेरा हाथ पकड़ते हुए एक बार भी नहीं सोचते??
क्यों मेरी खुशी के लिए तुम कुछ भी कर देते हो???
क्यों जब लोग मेरा जिक्र करते हैं तो तुम्हारे चेहरे पर वो बहुत कुछ कहने वाली मुस्कान होती है???
उसके बाद उन्होंने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया...
मेरे कुछ समझने से पहले ही उन्होंने मुझे अपनी जान कह दिया...
गाल पर वो अजीब सी चमक लेकर वो एकटक मुझे देखे जा रहे थे...
और अंत में उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया...
BEGINNING❣
@readytowrite_27

©Navita Barai

दोपहर का समय चिलचिलाती धूप, हाथो में हाथ... बहुत ज्यादा सन्नाटा और हम उनके साथ... उनके वो बड़े बड़े पैरों से लम्बे लम्बे कदम... और हमारे वो छोटे छोटे पैरों से तेज़ कदम... वो एकदम शांति से आगे की ओर चल रहे थे.. इधर हम खुद से ही मन में कई सवाल बुन रहे थे... आखिर हमने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पूछ ही लिया... क्यों फिक्र करते हो तुम इतनी मेरी??? क्यों मेरे आँखों मे एक भी आँसू देख तुम्हारी आँखे भी नम हो जाती है??? क्यों तुम लोगो के सामने मेरा हाथ पकड़ते हुए एक बार भी नहीं सोचते?? क्यों मेरी खुशी के लिए तुम कुछ भी कर देते हो??? क्यों जब लोग मेरा जिक्र करते हैं तो तुम्हारे चेहरे पर वो बहुत कुछ कहने वाली मुस्कान होती है??? उसके बाद उन्होंने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया... मेरे कुछ समझने से पहले ही उन्होंने मुझे अपनी जान कह दिया... गाल पर वो अजीब सी चमक लेकर वो एकटक मुझे देखे जा रहे थे... और अंत में उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया... BEGINNING❣ @readytowrite_27 ©Navita Barai

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