उछलती मचलती बलखाती चली मंदाकिनी बनकर गुनगुनाती पा | मराठी Shayari Vide

"उछलती मचलती बलखाती चली मंदाकिनी बनकर गुनगुनाती पायल छनकाती चली रागिनी बनकर कभी सर्दी कभी गर्मी कभी बरसात सी बनकर चली आती हो चमकते चंद्रमा की चांदनी बनकर ©काल की कलम से "

उछलती मचलती बलखाती चली मंदाकिनी बनकर गुनगुनाती पायल छनकाती चली रागिनी बनकर कभी सर्दी कभी गर्मी कभी बरसात सी बनकर चली आती हो चमकते चंद्रमा की चांदनी बनकर ©काल की कलम से

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