दिल से पत्थर हो गया इंसान
ना जाने कहाँ-कहाँ दिल लगा लिया...
एक अल्लाह के सिवा सबको याद कर्ता है इंसान
ना जाने कहाँ-कहाँ दिल लगा लिया...
सजदे में भी याद कर्ता है महबूबा को
फिर कहता है परेशान हूं में
महबूबा को तलाशता ना जाने कहा-कहाँ
अल्लाह को भूल जाता है..
फिर कहता है परेशान हूं में
ना जाने कहाँ-कहाँ दिल लगा लिया.....
©A.M.I.Writer