जिंदगी का जन्म हुआ, जिंदगी की गोद पर पाया था खुद को,
वंदना या स्तुति नहीं कर सकते, इसलिए समय ने रुलाया था मुझको।
खुद पानी पीकर, जिसने रक्त की सैकड़ों धाराएं दी मुझको,
जगत में सबसे बड़ा धर्म, जिसने ये पल दिए मुझको।
पलना न मिला हो सही, पर जिसकी गोद में झूले हैं।
उसके हाथों से खाकर, आज इतने फले फूले हैं।
ढाई अक्षर प्रेम को, ढाई सौ कोटि जिसने लुटाया है,
सच में वही केवल वही, ईश्वर कहलाया है।
अनंतताl की जो मूरत है, वो बिना सजे लगती खूबसूरत है,
ममत्व की वही जो छाप है, जो श्रद्धा से बना एक शिलालेख है।
इनको संभाले रखना, अपने इतिहास को बचाना है।
©Ajay Shrivastava
#MereKhayaal