मुश्किल है अब सफ़र हम तक
हमने राहों में कांटे, बिछा दिए हैं
चाह कर भी कैसे रुलाओगे हमें
गम हमने सारे, छुपा दिए हैं
ना ढूंढ़ सकोगे अंधेरों में मुझे
उम्मीदों के दिए ,हमने बुझा दिए हैं
ना खोल पाओगे गांठ मन की
धागे हमने सारे, उलझा दिए हैं
क्या ठिक करने आओगे अब
रिश्ते हमने कबके, सुलझा दिए हैं
©vishakha Varun
##!