मैं लिखूं तो लिखूं क्या?
कपड़े इतने फट चुके है उन्हे सिलु क्या?
बन्द दरवाजे के पीछे ख़ुद को कैद कर चुका हूं
तुम्ही बताओ यहां से निकलूं क्या?
जब पूरी रात सोया ही नहीं...
तुम ही बताओ सुबह जगूं क्या?
सबको समझ आ जाऊं इतना आसान बनू क्या?
मुझे अपने बारे में सब पता है
इतना आसानी से अपना मन लिखूं क्या..?
मैं लिखूं तो लिखूं क्या?
©AJEY TIWARI RAJA
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