मैं शहर का शोर-शराबा
तू गांव जैसी शांत प्रिये!
मैं उलझा हुआ सा ख्वाब कोई,
तू सुलझी हुई सी बात प्रिये!
मैं दोपहर की चिकचिक,
तू सुकून भरी रात प्रिये!
मैं दूरियों का पैमाना,
तू हसीन मुलाकात प्रिये!
मै इश्क सीखने का आदि,
तू इश्क की पूरी जात प्रिये!
प्रिये!!