White एक डोली चली एक अर्थी चली.......
बात दोनों में कुछ इस तरह से चली ........
बोली डोली तुम्हें किसने धोखा दिया ,
कहां तू चली...?
अर्थी बोली
चार तुझमें लगे , चार मुझमें लगे( कंधे )
फूल तुझ पर सजे,फूलों मुझ पर सजे,
फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी ,
तू पिया को चली ,मैं प्रभु को चली...
मांग तेरी भरी, मांग मेरी भरी,
चूड़ियां तेरी हरी ,चूड़ियां मेरी हरी,
फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी ....
तू जहां मैं चली,मैं जहां से चली..
एक सजन तेरा ख़ुश हो जाएगा,
एक सजन मेरा मुझको रो जाएगा,
फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी ...
तू विदा हो चली....
मैं अलविदा हो चली.....
©भारद्वाज
#cg_forest #,एक डोली चली एक अर्थी चली.......
बात दोनों में कुछ इस तरह से चली ........
बोली डोली तुम्हें किसने धोखा दिया ,
कहां तू चली...?
अर्थी बोली
चार तुझमें लगे , चार मुझमें लगे
( कंधे )
फूल तुझ पर सजे,फूलों मुझ पर सजे,