White पत्थरों का दर्द, अब मैं जानता हूँ बाप को स | हिंदी शायरी

"White पत्थरों का दर्द, अब मैं जानता हूँ बाप को सर पर बिठाना  चाहता हूँ दौलतों का ढेर ले के, दे मुझे तू दादी का वो चार आना चाहता हूँ ©निर्भय चौहान"

 White 
पत्थरों का दर्द, अब मैं जानता हूँ 
बाप को सर पर बिठाना  चाहता हूँ 

दौलतों का ढेर ले के, दे मुझे तू
दादी का वो चार आना चाहता हूँ

©निर्भय चौहान

White पत्थरों का दर्द, अब मैं जानता हूँ बाप को सर पर बिठाना  चाहता हूँ दौलतों का ढेर ले के, दे मुझे तू दादी का वो चार आना चाहता हूँ ©निर्भय चौहान

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