अब मैं मजबूरियों पर क्या शक करूं हम तो सब्र का घू | हिंदी लव
"अब मैं मजबूरियों पर क्या शक करूं
हम तो सब्र का घूंट पिए बैठे है
अब उस शख़्स का इंतजार नहीं होता ,
फिर भी हम उसी के इंतजार पर बैठे हैं ।
Abhishek Dwivedi"
अब मैं मजबूरियों पर क्या शक करूं
हम तो सब्र का घूंट पिए बैठे है
अब उस शख़्स का इंतजार नहीं होता ,
फिर भी हम उसी के इंतजार पर बैठे हैं ।
Abhishek Dwivedi