बनकर मासुम सा वो, कलम की लिखावटे रबर से मिटा दी.. | हिंदी Sad

"बनकर मासुम सा वो, कलम की लिखावटे रबर से मिटा दी... निशां आज भी है दिली पन्नौ पर, बस यु कहिए भुलना सिखा दी... ©Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav"

 बनकर मासुम सा वो, कलम की लिखावटे 
रबर से मिटा दी...
निशां आज भी है दिली पन्नौ पर, बस यु  कहिए
 भुलना सिखा दी...

©Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav

बनकर मासुम सा वो, कलम की लिखावटे रबर से मिटा दी... निशां आज भी है दिली पन्नौ पर, बस यु कहिए भुलना सिखा दी... ©Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav

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