White अक्सर सुन सान राहो पे चलने की आदत सी हो गई है मुझे
हर मोड़ पे ये बैबस निगाहें ढूंढती है बस तुझे
किस से कहें क्या आलम है मैरी इस बेकरारी का
मेला सा लगा है बस यादों का अरमां तो है सारे बुझे-बुझे
©khushal sharkholi
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