सब अपनी अपनी बताते है
कभी मेरी भी कहानी थी
मैं उसका का दीवाना था
वो किसी और की दीवानी थी
परवाह नहीं थी जिन्दगी की
किताबों का जमाना था
पता नहीं था इस बात का
हमें भी कमाना था
उमर बढ़ती गई किस्से बदलते गए
कहानी की किताब लेके
हम भी चलते गए
कुछ रह गए कुछ छूट गए
कुछ गलती से रूठ गए
तो कुछ महोब्बत में टूट गए
वक़्त की रवानी थी
मैं उसका दीवाना था
वो किसी और की दीवानी थी
©Abhishek Kumar
#fourlinepoetry