सब अपनी अपनी बताते है कभी मेरी भी कहानी थी मैं उस | हिंदी कविता

"सब अपनी अपनी बताते है कभी मेरी भी कहानी थी मैं उसका का दीवाना था वो किसी और की दीवानी थी परवाह नहीं थी जिन्दगी की किताबों का जमाना था पता नहीं था इस बात का हमें भी कमाना था उमर बढ़ती गई किस्से बदलते गए कहानी की किताब लेके हम भी चलते गए कुछ रह गए कुछ छूट गए कुछ गलती से रूठ गए तो कुछ महोब्बत में टूट गए वक़्त की रवानी थी मैं उसका दीवाना था वो किसी और की दीवानी थी ©Abhishek Kumar"

 सब अपनी अपनी बताते है
कभी  मेरी भी कहानी थी
मैं उसका का दीवाना था 
वो किसी और की दीवानी थी
परवाह नहीं थी जिन्दगी की
किताबों का जमाना था 
पता नहीं था इस बात का 
हमें  भी कमाना था 
उमर बढ़ती गई किस्से बदलते गए
कहानी की किताब लेके 
हम भी चलते गए
कुछ रह गए कुछ छूट गए
कुछ गलती से रूठ गए
तो कुछ महोब्बत में टूट गए
वक़्त की रवानी थी
मैं उसका दीवाना था 
वो किसी और की दीवानी थी

©Abhishek Kumar

सब अपनी अपनी बताते है कभी मेरी भी कहानी थी मैं उसका का दीवाना था वो किसी और की दीवानी थी परवाह नहीं थी जिन्दगी की किताबों का जमाना था पता नहीं था इस बात का हमें भी कमाना था उमर बढ़ती गई किस्से बदलते गए कहानी की किताब लेके हम भी चलते गए कुछ रह गए कुछ छूट गए कुछ गलती से रूठ गए तो कुछ महोब्बत में टूट गए वक़्त की रवानी थी मैं उसका दीवाना था वो किसी और की दीवानी थी ©Abhishek Kumar

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