गोपियों के दिल को चुराने वाला है माखन चोर यशोदा के | हिंदी कविता

"गोपियों के दिल को चुराने वाला है माखन चोर यशोदा के नन्द लाल जिन्हें कहते नन्द किशोर श्याम तुझमें श्याम मुझमे है कण कण में श्याम उर में जलाके प्रेम दीपक कर गए भाव विभोर बाके बिहारी कृष्ण कन्हैया नँद लाल का जोर चारो दिशाओ में गूँज रहा राधे कृष्ण का शोर बाके बिहारी तुम हो सागर तो हम उसके कोर झूठ बछल कपट लालच कलयुग में है घन घोर अंधेरे का अब्र हटा कर करे ख़ुशियों का भोर मस्त मग्न होकर नाचे सावन के महीने में मोर मिरा सूरदासन ने कृष्ण भक्ति से किया अंजोर हे कान्हा हे मुरली मनोहर यूँ ना हमसे मुख्मोर सुन लो हमारी हे लीलाधर करो ना दिल कठोर भोग प्रसाद में बनाया प्रभु आपके मन का ठोर गीता उपदेश हमे नही होने देता कभी कमजोर प्रेम भक्ति आराधना को करते है दिल मे स्टोर प्रभु के हाथों में है अपना जीवन का बागडोर मयूर पँख माथे सोहे, मुरली की घुन मघुर सखियाँ चले यमुना तिरे बांध प्रीत की डोर ©Nksahu0007writer"

 गोपियों के दिल को चुराने वाला है माखन चोर
यशोदा के नन्द लाल जिन्हें कहते नन्द किशोर
श्याम तुझमें श्याम मुझमे है कण कण में श्याम 
उर में जलाके प्रेम दीपक कर गए भाव विभोर
बाके बिहारी कृष्ण कन्हैया नँद लाल का जोर
चारो दिशाओ में गूँज रहा राधे कृष्ण का शोर
बाके बिहारी तुम हो सागर तो हम उसके कोर
झूठ बछल कपट लालच कलयुग में है घन घोर
अंधेरे  का अब्र हटा कर करे  ख़ुशियों  का भोर
मस्त मग्न  होकर नाचे सावन के महीने में मोर
मिरा  सूरदासन ने कृष्ण भक्ति से किया अंजोर
हे कान्हा हे मुरली मनोहर यूँ ना हमसे मुख्मोर
सुन लो हमारी हे लीलाधर करो ना दिल कठोर
भोग प्रसाद में बनाया प्रभु आपके मन का ठोर
गीता उपदेश हमे नही होने देता कभी कमजोर
प्रेम भक्ति आराधना को करते है दिल मे स्टोर
प्रभु के हाथों में है अपना जीवन का बागडोर
मयूर पँख  माथे सोहे, मुरली  की  घुन  मघुर 
सखियाँ  चले  यमुना  तिरे बांध प्रीत की डोर

©Nksahu0007writer

गोपियों के दिल को चुराने वाला है माखन चोर यशोदा के नन्द लाल जिन्हें कहते नन्द किशोर श्याम तुझमें श्याम मुझमे है कण कण में श्याम उर में जलाके प्रेम दीपक कर गए भाव विभोर बाके बिहारी कृष्ण कन्हैया नँद लाल का जोर चारो दिशाओ में गूँज रहा राधे कृष्ण का शोर बाके बिहारी तुम हो सागर तो हम उसके कोर झूठ बछल कपट लालच कलयुग में है घन घोर अंधेरे का अब्र हटा कर करे ख़ुशियों का भोर मस्त मग्न होकर नाचे सावन के महीने में मोर मिरा सूरदासन ने कृष्ण भक्ति से किया अंजोर हे कान्हा हे मुरली मनोहर यूँ ना हमसे मुख्मोर सुन लो हमारी हे लीलाधर करो ना दिल कठोर भोग प्रसाद में बनाया प्रभु आपके मन का ठोर गीता उपदेश हमे नही होने देता कभी कमजोर प्रेम भक्ति आराधना को करते है दिल मे स्टोर प्रभु के हाथों में है अपना जीवन का बागडोर मयूर पँख माथे सोहे, मुरली की घुन मघुर सखियाँ चले यमुना तिरे बांध प्रीत की डोर ©Nksahu0007writer

#बाल_गोपाल
#माखन_चोर
#नँद_किशोर
#प्रेम_मंजरी
#प्रेमयाद_कुमार_नवीन

People who shared love close

More like this

Trending Topic