गोपियों के दिल को चुराने वाला है माखन चोर
यशोदा के नन्द लाल जिन्हें कहते नन्द किशोर
श्याम तुझमें श्याम मुझमे है कण कण में श्याम
उर में जलाके प्रेम दीपक कर गए भाव विभोर
बाके बिहारी कृष्ण कन्हैया नँद लाल का जोर
चारो दिशाओ में गूँज रहा राधे कृष्ण का शोर
बाके बिहारी तुम हो सागर तो हम उसके कोर
झूठ बछल कपट लालच कलयुग में है घन घोर
अंधेरे का अब्र हटा कर करे ख़ुशियों का भोर
मस्त मग्न होकर नाचे सावन के महीने में मोर
मिरा सूरदासन ने कृष्ण भक्ति से किया अंजोर
हे कान्हा हे मुरली मनोहर यूँ ना हमसे मुख्मोर
सुन लो हमारी हे लीलाधर करो ना दिल कठोर
भोग प्रसाद में बनाया प्रभु आपके मन का ठोर
गीता उपदेश हमे नही होने देता कभी कमजोर
प्रेम भक्ति आराधना को करते है दिल मे स्टोर
प्रभु के हाथों में है अपना जीवन का बागडोर
मयूर पँख माथे सोहे, मुरली की घुन मघुर
सखियाँ चले यमुना तिरे बांध प्रीत की डोर
©Nksahu0007writer
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