बारहा नक़ाब , बदल के क्या मिलेगा? चहरा ,बेहिसाब बद

"बारहा नक़ाब , बदल के क्या मिलेगा? चहरा ,बेहिसाब बदल के क्या मिलेगा? हर दौर में वही तो सवाल आएगा। दहफतन जवाब बदल के क्या मिलेगा।। सूखी नदी कब तलक रोती रहेगी ? फ़क़त गिरदाब बदल के क्या मिलेगा? ? दागे - दामन तो चाँद -सा चमके है। सूरत पे आब बदल के क्या मिलेगा? इश्क़ का नशा उतर चुका है 'अथर्व'। जामे- शराब बदल के क्या मिलेगा? संजय अथर्व"

 बारहा  नक़ाब , बदल के क्या मिलेगा?
चहरा ,बेहिसाब बदल के क्या मिलेगा?
हर  दौर  में  वही  तो सवाल  आएगा।
दहफतन जवाब बदल के क्या मिलेगा।।
सूखी  नदी  कब  तलक  रोती  रहेगी ?
फ़क़त गिरदाब बदल के क्या मिलेगा? ?
दागे - दामन  तो  चाँद -सा चमके है।
सूरत  पे आब बदल के क्या मिलेगा?
इश्क़  का नशा उतर चुका है 'अथर्व'।
जामे- शराब  बदल  के क्या मिलेगा?
संजय अथर्व

बारहा नक़ाब , बदल के क्या मिलेगा? चहरा ,बेहिसाब बदल के क्या मिलेगा? हर दौर में वही तो सवाल आएगा। दहफतन जवाब बदल के क्या मिलेगा।। सूखी नदी कब तलक रोती रहेगी ? फ़क़त गिरदाब बदल के क्या मिलेगा? ? दागे - दामन तो चाँद -सा चमके है। सूरत पे आब बदल के क्या मिलेगा? इश्क़ का नशा उतर चुका है 'अथर्व'। जामे- शराब बदल के क्या मिलेगा? संजय अथर्व

मेरे कवि मित्र संजय अथर्व की ग़ज़ल

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