उम्र भर सहती है।
पर किसी से कुछ नहीं कहती हैं
जिंदगी मिलती है एक बार ,समझा दो दुनिया को
हक है हमें भी खुल के ,जीने दो ना यार।
क्यों फर्ज तले दबा रखा है ,हमारी हंसी को
एक बार खुल के हंसने दो।
क्यों औरत पर है इतने जुल्म ,क्यों है
वो किसी और के पैरों की धूल।
दिल उसका तो कहता है यही
कि तु इस दुनिया को भूल
पर पैरों में बंधी है ये कैसी जंजीर
दुनिया की बाते हैं उसके लिए लोहे की लकीर
जीने दे हमें भी अपने तरीके से दुनिया,
यही कहती हर औरत की बात है।
फर्ज छोड़कर मुझे भी मरना एक रात है।
जीने दे खुल के मुझे भी दुनिया
यही एक औरत की फरियाद हैं।
©Sanjana Singh
#IndiaFightsCorona