समझे ही नहीं देती सियासत हम को सच्ची, कभी चेहरा नह | हिंदी શાયરી અને ગ

"समझे ही नहीं देती सियासत हम को सच्ची, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पण नहीं मिलता। समझ ही नहीं जाती विशिष्टता हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं कभी दर्पण नहीं। @GOHIL UMESH EDIT ©video creation "

समझे ही नहीं देती सियासत हम को सच्ची, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पण नहीं मिलता। समझ ही नहीं जाती विशिष्टता हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं कभी दर्पण नहीं। @GOHIL UMESH EDIT ©video creation

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