कौन हो तुम मेरे
कैसा रिश्ता है तुम्हारा और मेरा
क्यूँ तुम बिन बोलूँ तो
जुबां ख़ामोश सी हो जाती है
क्यूँ तुम बिन हँसूं तो
आँखें आँसू से भर जाती है
क्यूँ तुम बिन चलूँ तो
कदम थम से जाते हैं
क्यूँ हर जगह बस
तुम्हारे ही चेहरे नज़र आते हैं
क्यूँ हर दम हर पल
बस तुम्हारी ही याद आती हैं
क्यूँ कुछ भी सोचूँ तो
सिर्फ तुम्हारे ही ख्याल आते हैं
क्यूँ हर एक साँस मेरा
बस तुम्हारा ही नाम गुनगुनाते हैं
क्यूँ तुम बिन खुद को
हम तन्हां से पाते हैं
क्यूँ तेरे बाद भी
तुझी को हम चाहते हैं
क्यूँ तुम्हारे सिवा
हम किसी और के ना हो पाते हैं
कौन हो तुम मेरे
कैसा रिश्ता है तुम्हारा और मेरा
©dilbechara466