आज शाम मैं कह न सकूं तो तुम बोल देना थोड़ी सी मदि

"आज शाम मैं कह न सकूं तो तुम बोल देना थोड़ी सी मदिरा कानों में घोल देना न बांधो मजबूती से दुपट्टा अपना हवा इश्क की है थोड़ा सा झोल देना तपती है रूह जेठ की दोपहरी में एक करम जुल्फों को खोल देना क्या कहूं क्या न कहूं मोहब्बत में बताना इशारों में बस लफ्ज तोल देना Dr KR Prbodh ©K R Prbodh"

 आज शाम  मैं कह न सकूं तो तुम बोल देना
थोड़ी सी मदिरा कानों में घोल देना

न बांधो मजबूती से दुपट्टा अपना
हवा इश्क की है थोड़ा सा झोल देना

तपती है रूह जेठ की दोपहरी में
एक करम जुल्फों को खोल देना

क्या कहूं क्या न कहूं मोहब्बत में
बताना इशारों में बस लफ्ज तोल देना

Dr KR Prbodh

©K R Prbodh

आज शाम मैं कह न सकूं तो तुम बोल देना थोड़ी सी मदिरा कानों में घोल देना न बांधो मजबूती से दुपट्टा अपना हवा इश्क की है थोड़ा सा झोल देना तपती है रूह जेठ की दोपहरी में एक करम जुल्फों को खोल देना क्या कहूं क्या न कहूं मोहब्बत में बताना इशारों में बस लफ्ज तोल देना Dr KR Prbodh ©K R Prbodh

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