अलफ़ाज़ है मगर उसमे जज़्बात नहीं है
तेरे मेरे बीच में, रिश्ते अब खास नहीं है
सन्नाटो में, बीते कल की कही गूँजे है
सन्नाटे अब पहले की तरह चुप चाप नहीं है
मिलावटी चीजों का बाजार लगा है
इश्क़ भी यहाँ अब पाक नहीं है
ज़िंदगी भर की मस्सकत लग जाती है
कफ़न को खरीदना आसान बात नहीं है
#gazal