हालात पर रो देतें हैं पर हैरान अपने आप पर होते हैं।
ये दर्द है थोड़ा सा ये सोच कर हम गमों
को धुएं में उड़ा देते हैं।
पर फिर भी ना वो बरसा शायद वो बादल भी
मेरी एक बूँद के लिए था तरसा।
पर हम तो अपने ही गुरूर में जीते हैं सदा
जो झुका दे मुझे ऐसी हस्ती को जन्म देने
की है हिम्म्मत कहां है उसे
और अगर कभी गलती से टूट भी गया गुरूर मेरा
फिर भी मैं तो मैं ही रहूंगी।
अनामिका सिंह