White दरवाजा बन्द ही कहां था? बस हमने खटखटाना छोड़ | हिंदी कविता

"White दरवाजा बन्द ही कहां था? बस हमने खटखटाना छोड़ दिया। देख लोगों की बेरुखी, हमने भी अपना मुंह मोड़ लिया। लोग बुलाते थे हमे वें मन से, हमने उनकी महफिलों में जाना छोड़ दिया। रूबरू होते थे जो मतलब, हमने उनको बेमतलब बुलाना छोड़ दिया। दर्द थे कुछ अपने, हमने उनको बताना छोड़ दिया। ---------आनन्द ©आनन्द कुमार"

 White दरवाजा बन्द ही कहां था?
बस हमने खटखटाना छोड़ दिया।

देख लोगों की बेरुखी,
हमने भी अपना मुंह मोड़ लिया।

लोग बुलाते थे हमे वें मन से,
हमने उनकी महफिलों में जाना छोड़ दिया।

रूबरू होते थे जो मतलब,
हमने उनको बेमतलब बुलाना छोड़ दिया।

दर्द थे कुछ अपने,
हमने उनको बताना छोड़ दिया।
                                   ---------आनन्द

©आनन्द कुमार

White दरवाजा बन्द ही कहां था? बस हमने खटखटाना छोड़ दिया। देख लोगों की बेरुखी, हमने भी अपना मुंह मोड़ लिया। लोग बुलाते थे हमे वें मन से, हमने उनकी महफिलों में जाना छोड़ दिया। रूबरू होते थे जो मतलब, हमने उनको बेमतलब बुलाना छोड़ दिया। दर्द थे कुछ अपने, हमने उनको बताना छोड़ दिया। ---------आनन्द ©आनन्द कुमार

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