"बेसुध आँखों की नमी
नमी में तुम्हारी कमी
जो ख्यालात सजती
अश्रु पी लेती ख़ुद में
टपकती जो विरह में
हंथेली से थाम लेता
होंठों से चुम लेता
जैसे तुम्हे छू लेता"
बेसुध आँखों की नमी
नमी में तुम्हारी कमी
जो ख्यालात सजती
अश्रु पी लेती ख़ुद में
टपकती जो विरह में
हंथेली से थाम लेता
होंठों से चुम लेता
जैसे तुम्हे छू लेता