यूँ ही शाख से पत्ते गिरा नहीं करते, बिछड़ के लोग भी | हिंदी शायरी

"यूँ ही शाख से पत्ते गिरा नहीं करते, बिछड़ के लोग भी ज्यादा जिया नहीं करते। पड़ोसी का खून सारा पिया नहीं करते जो आने वाले हैं मौसम उनका अहसान करो, जो दिन गुजर गए उनको गिना नहीं करते....... ©projeet"

 यूँ ही शाख से पत्ते गिरा नहीं करते,
बिछड़ के लोग भी ज्यादा जिया नहीं करते।
पड़ोसी का खून सारा पिया नहीं करते 

जो आने वाले हैं मौसम उनका अहसान करो,

जो दिन गुजर गए उनको गिना नहीं करते.......

©projeet

यूँ ही शाख से पत्ते गिरा नहीं करते, बिछड़ के लोग भी ज्यादा जिया नहीं करते। पड़ोसी का खून सारा पिया नहीं करते जो आने वाले हैं मौसम उनका अहसान करो, जो दिन गुजर गए उनको गिना नहीं करते....... ©projeet

#OneSeason

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