कृष्ण अमृत का पान कराया, मानव जीवन का सार बताया। | हिंदी Poetry

"कृष्ण अमृत का पान कराया, मानव जीवन का सार बताया। माया की मार से तड़प रहे जीव को, आपने आकार संभाला। नीरस और उदास जीवन को, भक्ति श्रील प्रभुपाद आपने दिया सहारा। बिन आपके ये जीवन दुखालय था, भक्ति की ज्योति से आपने किया कल्याण इस पापी का। आपकी किताबों और भक्तों का संग जो पाया, मनुष्य जीवन जीने की कला को अपनाया। सदा दिशा दिखाते रहना, कृपा आपकी बरसते रहना, हर जनम बनू दास तुम्हारा, जब जब पाऊं जीवन दोबारा। जय श्रील प्रभुपाद 🙏🙇🏻‍♀️🥺 ©Heer"

 कृष्ण अमृत का पान कराया, 
मानव जीवन का सार बताया। 

माया की मार से तड़प रहे जीव को,
आपने आकार संभाला। 

नीरस और उदास जीवन को, 
भक्ति श्रील प्रभुपाद आपने दिया सहारा। 

बिन आपके ये जीवन दुखालय था,
भक्ति की ज्योति से आपने किया कल्याण इस पापी का। 

आपकी किताबों और भक्तों का संग जो पाया,
मनुष्य जीवन जीने की कला को अपनाया। 

सदा दिशा दिखाते रहना, कृपा आपकी बरसते रहना,
हर जनम बनू दास तुम्हारा, जब जब पाऊं जीवन दोबारा। 

जय श्रील प्रभुपाद 🙏🙇🏻‍♀️🥺

©Heer

कृष्ण अमृत का पान कराया, मानव जीवन का सार बताया। माया की मार से तड़प रहे जीव को, आपने आकार संभाला। नीरस और उदास जीवन को, भक्ति श्रील प्रभुपाद आपने दिया सहारा। बिन आपके ये जीवन दुखालय था, भक्ति की ज्योति से आपने किया कल्याण इस पापी का। आपकी किताबों और भक्तों का संग जो पाया, मनुष्य जीवन जीने की कला को अपनाया। सदा दिशा दिखाते रहना, कृपा आपकी बरसते रहना, हर जनम बनू दास तुम्हारा, जब जब पाऊं जीवन दोबारा। जय श्रील प्रभुपाद 🙏🙇🏻‍♀️🥺 ©Heer

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