फ़ुरसत नहीं या याद आती नहीं
बहाने रोज़ यूं बनाया ना करो
मसला यह है कि तुम याद करते नहीं
हमें भी रोज़ यूं याद आया ना करो
चेन से सोने दो हमें भी रातभर
ख्यालों में रोज़ यूं सताया ना करो
हमारी ही गली से गुजरते हो क्यूं रोज़
बेचैन दिल को यूं धड़काया ना करो
दोस्ती ही है या मोहब्बत,उलझन तो है
राज़ जो भी हो दिल में यूं दबाया ना करो
दिल के दरिया में उफान सा आता है
कातिल अदा से रूबरू यूं मुस्कुराया ना करो
जब भी मिलो सिद्दत से गले लगाओ मकबूल
अदब से हाथ अब यूं मिलाया ना करो।
*बबलेश कुमार*😊