नाथ कहो शिवनाथ कहो तुम, बमबम भोलेशंकर प्यारे। गङ्ग | हिंदी कविता

"नाथ कहो शिवनाथ कहो तुम, बमबम भोलेशंकर प्यारे। गङ्गजटाधर चन्द्र सुशोभित, सर्प सजाये तन में सारे।। हाथ त्रिशूल सुसज्जित डमरू, नन्दी बैल चढ़े त्रिपुरारे। भक्तन को मझधार उबारत, दुष्टन को खुदनाथ सँहारे।। ©Pankaj Priyam"

 नाथ कहो शिवनाथ कहो तुम, बमबम भोलेशंकर प्यारे।
गङ्गजटाधर चन्द्र सुशोभित, सर्प सजाये तन में सारे।।
हाथ त्रिशूल सुसज्जित डमरू, नन्दी बैल चढ़े त्रिपुरारे।
भक्तन को मझधार उबारत, दुष्टन को खुदनाथ सँहारे।।

©Pankaj Priyam

नाथ कहो शिवनाथ कहो तुम, बमबम भोलेशंकर प्यारे। गङ्गजटाधर चन्द्र सुशोभित, सर्प सजाये तन में सारे।। हाथ त्रिशूल सुसज्जित डमरू, नन्दी बैल चढ़े त्रिपुरारे। भक्तन को मझधार उबारत, दुष्टन को खुदनाथ सँहारे।। ©Pankaj Priyam

महादेव

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