बुज़ुर्गी सी छा गई है अब ज़हन पे मेरे, एक तेरी याद | हिंदी شاعری اور غ

"बुज़ुर्गी सी छा गई है अब ज़हन पे मेरे, एक तेरी याद के सिवा मुझे दूसरा कुछ याद नही रहता।.. - G. F. R (ek soch)"

 बुज़ुर्गी सी छा गई है अब ज़हन पे मेरे,
एक तेरी याद के सिवा मुझे दूसरा कुछ याद नही रहता।..
               - G. F. R (ek soch)

बुज़ुर्गी सी छा गई है अब ज़हन पे मेरे, एक तेरी याद के सिवा मुझे दूसरा कुछ याद नही रहता।.. - G. F. R (ek soch)

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