जिसे चाह सके वो यार ना था,
जिसे पा सके वो मुकाम ना था,
यह रेखाएं मेरे हाथ में किस काम की,
जब तक़दीर में कुछ खास हुआ ना था,
-(mr.A)akash
जिसे चाह सके वो यार ना था,
जिसे पा सके वो मुकाम ना था,
यह रेखाएं मेरे हाथ में किस काम की,
जब तक़दीर में कुछ खास हुआ ना था,
-(mr.A)akash