हमें मालूम है अब हिज्र में ही दिन बिताने हैं ।।।
हमें ये ज़ब्त और हिम्मत ये दोनो आज़माने हैं ।।।
वही कुछ गीत जो तेरा तसव्वुर करके लिक्खे हैं ।।।
वही सब गीत मुझको आज इन सबको सुनाने हैं ।।।
इजाज़त शायरों को कब है ऐसे खुल के रोने की ।।।
रिवाजे शायरी है अश्क़ कागज़ पर गिराने हैं ।।।