हृदय-दीप प्रज्ज्वलित करे राख करे अभिमान, भिन्न म | हिंदी कविता

"हृदय-दीप प्रज्ज्वलित करे राख करे अभिमान, भिन्न मात्र आशय होता है अग्नि तो एक समान... ©Sapna Sharma"

 हृदय-दीप प्रज्ज्वलित करे 
राख करे अभिमान, 
भिन्न मात्र आशय होता है
अग्नि तो एक समान...

©Sapna Sharma

हृदय-दीप प्रज्ज्वलित करे राख करे अभिमान, भिन्न मात्र आशय होता है अग्नि तो एक समान... ©Sapna Sharma

#NojotoRamleela

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