शहरी महोब्बत
अब वो नजरे भी नहीं मुड़ती इन नजरों की ओर
कहाँ करे महोब्बत की सिफारिशें ओर कहा लगाऐ इश्क़ का जोर
शायद रुठे है वो हमसे पर गलती हमे कोई याद नहीं
कही भर न गया हो दिल उनका या फिर हम उन्हें याद नहीं
कल तक उनकी महोब्बत हमसे ज्यादा थी खुद आपने बताया था
पर जब गये मिलने तो कहा हां मिले थे पर आपने नाम कहा बताया था
अच्छा परिचय दिया आपने अपनी मासुमियत का
हमे भी एक ओर रुप दिखाई दिया इस ईंसानियत का
हम पत्र लिखते लिखते बदनाम हो गए
लगता है अब तेरे प्यार के रस्ते सारे जाम हो गए
या डिजिटल है जमाना ?जिससे खत कहीं खाक हो
गए
या मिल गया होगा कोई ओर?जिससे हम फिर वही आम हो गए
क्या समझाये इस दिल को जिसमें दिमाग बिलकुल नही है
जो राबता था हमारा उस लड़की से वो अब हकिकत नहीं है
जरा सा रोओगे रो लेना अच्छे तो दिखते हो किसी ओर के हो लेना
ओर सुना इस जमाने में इतना दिल नी लगाते
यूज़ एंड थ्रो का टाइम है जो कोई नी बताते
✍Raghuveer Sou
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