संभलते कहाँ हैं हसीन लम्हे, चुराकर ले जाता है वक्त ,
बस अहसास बाकी रहता है, कि ऐसे पल भी आए थे।
जो रेत की तरह फिसल गए हाथ से, जिन्हें जी नहीं पाए हम,
बस गुजरते हुए देखते रहे, जैसे रेगिस्तान से कारवां गुजर जाता है।।
बस जिये जाओ कि वो वक्त फिर आए कभी⏱
बस यूँ ही