PART -2
ससुराल में वो पहला कदम,
दिल में माँ-बाबा की याद हरदम,
अपना होकर भी सब लगे पराया सा,
नये माहौल में दिल घबराया सा ।
बेटी से बहू बनने का ये सफ़र,
चाहे कितना भी साथ दे हमसफ़र,
घर की जैसी आज़ादी यहाँ नही होती,
पापा की परियाँ यहाँ देर तक नहीं सोती ।
कल तक खुले आकाश में उड़ती ये चिडियाँ,
गुड्डे-गुड़िया का खेल खेलती ये सोनचीरीयाँ ,
कब बेटी से बहू बन जाती है ये बेटियाँ,
ससुराल जाते ही बड़ी हो जाती हैं पापा की ये गुड़िया।
#Nojoto #nojotohindi