सेहर उठता हूं तेरा जिक्र जब जेहन में होता है, दिल तो करता है खुद से रिश्ता ना रखूं।
भाग जाना चाहता हु इन बंधनों से अपनी रूह से भी रिश्ता ना रखूं।
और यह दिन रातें हो गई मेरी ओर रातें नर्क,
कहां भाग जाऊं के तेरी याद न आए , क्या अब रातों से भी रिश्ता ना रखे।